शुक्रवार, 19 मार्च 2010

आसाम-मेघालय-अरुणाचल


दरअसल, भालूपोंग (अरुणाचल प्रदेश) हम तीन दोस्त सपत्नीक गये थे- सोदपुर का सुशान्तो विश्वास, कानपुर का धीरज और मैं. मेरा सिंगल फोटो यही एक है. इसलिये वहाँ की प्राकृतिक खूबसूरती- खासकर, बल खाती जयभराली नदी की खूबसूरती- मैं आपलोगों के सामने नहीं रख पा रहा हूँ.
दरअसल, वहाँ "कोयला" फिल्म की शूटिंग करने माधुरी दीक्षित तथा शाहरूख खान आये थे. (सम्भवतः यह राकेश रोशन की फिल्म थी.) फिल्म की टीम तेजपुर के वायु सेना के हवाई अड्डे पर ही उतरी थी.
हमने बाद में सोचा- ऐसा क्या है भाई "भालूपोंग" में. और हम भी चल पड़े. आप यकीन नहीं कीजियेगा- हमें अरूणाचल प्रदेश की सीमा में प्रवेश करने से रोका जा रहा था- जबकि यह हमारे देश का ही एक राज्य है! अगर मैं अपना पहचानपत्र साथ नहीं ले गया होता, तो शायद हमें बैरंग लौटना पड़ता. सोचिये- नेपाल की सीमा में प्रवेश करते वक्त कोई पूछने वाला नहीं होता- जबकि वह एक दूसरा देश है. क्या इसे ही "विडम्बना" कहते हैं?
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विवाह के बाद ही हमारा शिलाँग जाना हुआ था. बहुत ही खूबसूरत जगह!
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यह प्रसिद्ध "कामाख्या" मन्दिर है. दो बार जाना हुआ था. एक बार तो पाण्डे (शेरघाटी, गया का जयशंकर पाण्डे) के परिवार के साथ. (उसकी साली साहिबा आयी हुई थी.) दूसरी बार मैं अपनी पत्नी के साथ गया- शिलाँग से लौटते वक्त.) 
यहाँ के मन्दिरों की खासियत मैंने यह देखी कि गर्भगृह में देवी-देवता का स्थान फर्श से नीचे की ओर होता है, न कि ऊँचाई पर. कारण समझ में नहीं आया. 
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सोनाभील के चाय बगान में. तब मैं अविवाहित था. तस्वीर सफेदी ने खींची थी. (जी हाँ, 'सफेदी' नाम था उसका. भागलपुर का था.) 
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एक शाम ब्रह्मपुत्र नद के किनारे... तस्वीर सफेदी ने... 
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ये भी ब्रह्मपुत्र तीर की तस्वीरें हैं... तस्वीरें- नहीं सफेदी नहीं, अंशु ने खींची है- मेरी पत्नी. तेजपुर में रहने के दौरान ही मेरठ आकर मैंने शादी की थी. 

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