शुक्रवार, 19 मार्च 2010

पंजाब-हिमाचल-जम्मू






ऊपर की तस्वीरें शिमला की हैं. दो परिवार- मैं और हालदार- दिसम्बर में गये थे वहाँ- बर्फ तो देखने नहीं मिली, मगर यात्रा यादगार रही.
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ये तस्वीरें प्रसिद्ध "बाघा बॉर्डर" की है- जहाँ सूर्यास्त से पहले भारत के सीमा सुरक्षा बल के जवान तथा पाकिस्तान के रेंजर एक साथ परेड करते हुए अपने-अपने झण्डे उतारते हैं तथा आपस में हाथ मिलाते हैं. परेड देखने लायक होती है. अब शायद सूर्यास्त से काफी पहले यह होता है. यहाँ दो बार आना हुआ था. एक बार हम दो परिवार- हमलोग तथा घोष यहाँ आये थे; तथा दूसरी बार तब आना हुआ था, जब हमने माँ-पिताजी, चाचा-चाची, बड़ी दीदी-जीजाजी को "वैष्णों देवी" के दर्शनों के लिए बुलाया था. हाँ, मेरा छोटा भाई बबलू, भगना ओमू तथा भगनी कोमल भी थी. 
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हलवारा के पास कोई एक गुरुद्वारा है, जो अपनी सजीव मूर्तियों के लिए प्रसिद्ध है. मूर्तियों में वहाँ सिक्खों के इतिहास को जीवन्त कर दिया गया है. हम तीन या चार परिवार तथा दो बैचलर (लिविंग-इन) अपने-अपने स्कूटर-मोटर साइकिल पर यहाँ आये थे. और भी कई गुरुद्वारों में गये थे हम. 
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बताने की जरूरत नहीं- यह "स्वर्ण मन्दिर" है. यहाँ भी दो बार आना हुआ था. 
"जो बोले सो निहाल- सत श्री अकाल!" 

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